बस चाय तक !
1. सही ज्ञान
लेखनी परिवार के दोस्तो, आज से एक नया प्रयोग शुरु करने जा रहा हु । यहा पर कुछ सामान्य बाते होंगी जो हमारे जीवन से जुडी हुइ है। इस लेख श्रुंखला से हम कुछ भुली बीसरी बाते ताजा करेंगे ।
बातो के लिये वक़्त चाहिये और वक़्त होता नही हमारे पास। इसिलिये आइये सिर्फ एक चाय तक रुकिये और फिर अपनी अपनी लाइफ एंजोय करे। आइये शुरु करती है जब तक चाय आती है......
दोस्तो, जीवन एक
इन्द्रधनुश है। वैसे इन्द्रधनुश मे केवल सात रंग होते है। जीवन के कइ रंग हो सकते है।
वो तो हम पर निर्भर है की कितने रंग होने चाहिये। कइ लोग होते है जो ब्लेक एंड व्हाइट
जीवन जी लेते है और कइ लोग रंगीन जीवन भी जी लेते है। आइये हम भी अपनी लाइफ रंगीन
इन्द्रधनुश जैसी बनाये।
जीवन मे सब से जरुरी
जो होता है उस मे ‘ज्ञान’ भी बडी अहेमियत रखता है। ज्ञान की कोइ शिक्षा नही होती। ज्ञान केवल अनुभव से मिलता है। शिक्षा हमे जरुर मिलती है, माता पिता से, पाठशाला से,
कोलेज से, शिक्षक से....किन्तु ज्ञान सिर्फ अनुभव से ही सम्भव है। और उस का सही उपयोग भी जान ना अत्यंत आवश्यक है| और कहा, किस समय, कैसा उपयोग करे वो भी उतना ही जरुरी होता है।
विख्यात आल्बर्ट
आइंस्टाइन को कीसी पत्रकार ने पुछा,” व्होट इज़ ध मीनींग ओफ लाइफ ?” (जीवन का क्या अर्थ
है?)
जवाब, “ वेल, यंग
मेन लाइफ हेज़ नो मीनींग एट ओल” । (जीवन का कोइ अर्थ नही है)
और वो पत्रकार निराश
होकर वापस चल दिया।
इसिलिये आइंस्टाइन
ने उसे वापस बुलाया और बताया,” वेल यंग मेन धेर इज़ नो मीनींन ओफ लाइफ एट ओल बट यु
केन गिव मीनींग टु योर लाइफ़” । ( जीवन का कोइ अर्थ नही है, किंतु आप अपने जीवन को
उचित अर्थ दे सकते हो) ।
विख्यात
संगीतकार मोझार्ट (1756-91) को
एक पत्रकार ने प्रश्न किया,”सर, आइ वोंट टु कम्पोज़ अ म्युझिक लाइक यु, व्होट केन
आइ हेव टु डु ?” (साहेबजी मै आप की तरह संगीत कम्पोज़ करना चाहता हु, मुजे क्या
करना चाहिये?)
मोझार्ट
ने शांति से जवाब दिया,” वेल, योर एज इझ् वेरी लिटल टु कम्पोझ म्युझिक (आप की उम्र
अभी बहुत छोटी है संगीत कम्पोझ करने के लिये) ।
उस
पत्रकार ने इसिलिये कहा,” आइ सपोझ, धेट यु हेव कम्पोझ म्युझिक एट ध एज ओफ 6” (मैने
सुना है आप ने तो 6 उम्र की आयु मे म्युझिक कम्पोझ किया था) ।
मोझार्ट
ने बडी शंति से जवाब दिया,” वेल इन धिस केस्, आइ नेवेर गोन टु आस्क सच टु एनी बडी
एट 6” (मैने 6 साल की उम्र मे ऐसा सवाल कीसी को पुछा नही था) ।
मतलब आप
अपने जीवन को कैसे जीते हो ये आप पर निर्भर है। हमे शिक्षा जरुर अच्छी मिलती है
लेकिन इस शिक्षा का कहा और कैसे सही उपयोग करना है यह हमे ही तय करना पडता है। कभी
कभी हमारे जीवन मे ऐसे भी दिन आते है की हमारी शिक्षा का प्रभाव जरुर दिखाइ देता
है।
ठिक वैसा
ही हमारा भाषा ज्ञान का है। भाषा का सही उपयोग न हो तो यही ज्ञान बेकार है।
एक नेताजी
को बडी मुश्किल से उस की पार्टी ने एक पागलखाने के वार्षिक समारोह मे प्रमुख स्थान
के लिये भेजा। नेताजी तो चल दिये । जैसे ही उन का भाषन शुरु हुवा,”भाइओ और बेह्नो
मै चाहता हु इस संस्था का दिन प्रतिदिन विकास हो। इस की संख्या दिन प्रतिदिन बढे।
यह संस्था एक बीज मे से बडा वटव्रुक्ष बने..... “ अरे भाइ पागलखाने की संख्या
बढाकर क्या करना है ?
और कभी
कभी कम शब्दो मे भी कइ लोग बहुत कुछ कह जाते है ।
प्रख्यात नाट्यकार ज्योर्ज बर्नाड शो (1856-1950) का एक नाटॅक शो लंडन मे था और उस ने उस समय के प्रमुख विन्स्टन चर्चिल (1874-1965) को दो आमंत्रण पत्रिका भेजी और साथ मे एक नोट भेजी जिस मे लिखा था ‘आप के लिये दो आमंत्रण पत्रिका भेज रहा हु। एक आप के लिये और एक आप के दोस्त के लिये ।‘ और साथ मे कौंश मे लिखा (अगर हो तो)
मतलब
राजकारन मे तो दोस्त वैसे भी बहुत कम होते है। एक तरफ का एक व्यंग्य था इस आमंत्रण
पत्रिका मे। लेकिन ये तो विंस्टन चर्चिल थे, प्रमुख थे, उस ने जवाब मे चिठ्ठी भेजी
और लिखा, ‘आप के नाट्य शो के लिये बहुत बहुत शुभकामानाए। माफ किजियेगा इस शनिवार
को मै व्यस्ता के कारन नही आ पाउंगा। लेकिन अगले शनिवार को जरुर आउंगा ।‘ और कौंश
मे लिखा था (अगर नाटॅक चलेगा तो) ।
मतलब आप
का नाट्य शो एक सप्ताह तक चलनेलायक होगा तो । व्यंग्य का जवाब व्यंग्य से देते हुए
भी भाषा का सही उपयोग हुवा ।
और यही ज्ञान पत्नी के सामने कभी भी जाहिर करना नही चाहिये। किसी के भी घर मे पत्नी से बडा ज्ञानी हो ही नही सकता ।
एक पत्नी
ने अपने पति से कहा,”मुजे पैसो की जरुरत है।“
पति ने
खुब सोचकर जवाब दिया,” तुजे पैसे की नही अक्कल की जरुरत है।“
पत्नी ने एक
क्षण भी सोचे बिना तुरंत जवाब दिया,”अब मै तो वही मांगुंगी ना जो आप के पास हो।“
लेकिन कभी
कभी पतिदेव भी उचित ज्ञान बाट ही देते है।
एक सज्जन
के पास केवल तीन पतलुन थे । एक बार अपने दोस्त के साथ कही बाहर जा रहा था और अपनी
पत्नी को आवाज दी,” मै अपने दोस्त के साथ जा रहा हु, कौन से कलर की पतलुन पहन के
जाउ ?”
पत्नी ने
अन्दर से जवाब दिया,”वो ब्लु वाली मेरे पिताजी ने दिलाइ थी न वो पहन के जाओ”
उस के
दोस्त को पता था की उस का अपनी पत्नी के सामने कुछ नही चलता इसिलिये व्यंग्य करते
हुये कहा,” तु पतलुन भी अपनी मरजी से नही पहन पाता, जो भाभीजी कहती है वैसा ही करता
है।“
सज्जन ने
जवाब दिया,”दोस्त, वो घर की मालकिन है।“
मित्र ने
अपना सर फोडते हुये कहा,” अरे ! भाइ कुल मिलाकर तेरे पास तीन पतलुन है। जिस मे एक
वोशिंग के लिये पडी रहती है। दुसरी तुने पहनी होती है। अब बाकी बची एक उसे पहनकर
चल देता तो।“
सज्जन,”तेरी
बात बिल्कुल; सच्ची है, लेकिन पत्नी को लगना चाहिये ने कि मै उस का कहा ही करता
हु।“
जीवन हम
क्या जीते है, जीते है मजदुर और किसान। वो कभी प्रश्न नही करते की व्होट इझ ध
मीनींग ओफ लाइफ ? वे तो बस काम किया और रात को सादा खाना खाकर आराम से जीते है।
फोर्ड मोटर कम्पनी के मालिक हेनरी फोर्ड (1891–1945) अपनी एक कार लेकर चल पडे और रास्ते मे उस की गाडी खराब हो गइ। बहुत कोशिश के बावजुद शुरु नही हो पाइ। उस ने आस पास देखा तो एक किसान बैलगाडी लेकर आ रहा था और उस ने मदद मांगी। किसान ने गाडी को अपने बैलगाडी से जोड दिया और नजदिकी गराज तक पहुचा दी । गाडी ठीक होने तक वो रुका और हेनरी फोर्ड बहुत खुश हुवा और कुछ पाउंड देने चाहे। किसान ने इनकार कर दिया तो हेनरी फोर्ड ने कहा,” भाइ तुम ने मेरी मदद की है और संकोच मत करो क्यु की मै खुद हेनरी फोर्ड हु, फोर्ड कम्पनी का मालिक।“
किसान ने
जवाब दिया,”वो सब जाने दो साहब, मै इतना तो जरुर जानता हु की फोर्ड कम्पनी का
मालिक हेनरी फोर्ड साहब ऐसी खटारा गाडी लेकर नही चलते ।“
अब बताए
इसे कोइ ज्ञान की जरुरत है ? ..............चलिये चाय पीते है और चलते है.....हेव अ नाइस डे......
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Shnaya
15-Apr-2022 03:18 PM
Very nice 👌
Reply
PHOENIX
15-Apr-2022 05:27 PM
Thank you
Reply
Lotus🙂
15-Mar-2022 01:14 AM
Wah kya kehne
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PHOENIX
15-Mar-2022 10:57 AM
धन्यवाद
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Sudhanshu pabdey
16-Dec-2021 04:17 PM
Very nice 👌
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PHOENIX
16-Dec-2021 05:21 PM
Thanks....
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